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Wednesday, October 6, 2021
Thursday, September 25, 2014
Jai jai jagdambe जय जय जगदम्बे
जय जय जगदंबे | श्री अंबे | रेणुके कल्पकदंबे || धृ ||
अनुपम स्वरुपाची | तुझी घाटी | अन्य नसे या सृष्टी | तुझ सम रूप दुसरे | परमेष्टी ॥
करिती झाला कष्टी | शशी रसरसला | वदनपुटी | दिव्य सुलोचन दृष्टी | सुवर्ण रत्नांच्या ॥
शिरी मुकुटी लोपती | रविशशी कोटी | गजमुखी तुज स्तविले | हेरंभे मंगल सकलारभे ॥ जय जय
॥ १ ॥
कुमकुम शिरी शोभे | मळवटी | कस्तुरी तिलक ललाटी | नासिक अति सरळ | हनुवटी ||
रुचीरामृत रस ओठी | समान जणू लवल्या | धनकोटी | आकर्ण लोचन भ्रुकुटी | शशी नित भांग वळी| उपराटी ॥
कर्नाटकाची घाटी | भुजंग नीळरंगा | परी शोभे वेणी पाठी वरी शोभे ॥जय जय ॥ २ ॥
अनुपम स्वरुपाची | तुझी घाटी | अन्य नसे या सृष्टी | तुझ सम रूप दुसरे | परमेष्टी ॥
करिती झाला कष्टी | शशी रसरसला | वदनपुटी | दिव्य सुलोचन दृष्टी | सुवर्ण रत्नांच्या ॥
शिरी मुकुटी लोपती | रविशशी कोटी | गजमुखी तुज स्तविले | हेरंभे मंगल सकलारभे ॥ जय जय
॥ १ ॥
कुमकुम शिरी शोभे | मळवटी | कस्तुरी तिलक ललाटी | नासिक अति सरळ | हनुवटी ||
रुचीरामृत रस ओठी | समान जणू लवल्या | धनकोटी | आकर्ण लोचन भ्रुकुटी | शशी नित भांग वळी| उपराटी ॥
कर्नाटकाची घाटी | भुजंग नीळरंगा | परी शोभे वेणी पाठी वरी शोभे ॥जय जय ॥ २ ॥
कंकणे कनकाची | मनगटी | दिव्य मुंद्या | दश बोटी बाजूबंद नगे | बाहुबटी ॥
चर्चुनी केशर उटी | सुगंध पुष्पानचे हार कंठी | बहु मोत्यांची दाटी | अंगी नवचोळी | जरीकाठी ॥
पीत पितांबर तगटी | पैजन पदकमली | अति शोभे | भ्रमर धावती लोभे || जय जय ॥३ ॥
साक्षप तू क्षितिजा | तळवटी | तुज स्वये जगजेठी | ओवाळीन आरती |दीपताटी ॥
घेउनी कर समपुष्टी | करुणामृत हुदयी | संकष्टी | धावती भक्तांसाठी विष्णू सदा | बहु कष्टी ॥
देशील जरी नीजभेटी | तरी मग काय उणे | या लाभे | धाव पाव अविलंबे ॥जय जय ॥ ४ ॥
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