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Thursday, October 7, 2021

Navratri Day 6 - Maa Katyayani Arti and Puja

Who is Maa Katyayani - 

On the havoc created by Mahishasura, Goddess Parvati had taken the avatar of Katyayani. She is also referred to as the warrior Goddess. Certain religious texts state that Goddess Pravati was born at the home of sage Katya and hence the name Katyayani. She can be seen riding a lion and carrying a lotus stem and sword in her right hand. She is said to be gifted with the lion by Goddess Gauri.

Navratri Day 6 Aarti 

Kaatyaayani Mahaamaaye Mahaayoginyadheeshvari,
Nand gopasutan devipatin me kuru te namah.

Mantra For delayed marriage
Hey gaurishankaradhanyathatwamshankarpriya
Tatha man kurukalyanikantkantansudurlabham

Mantra For finding a suitable husband for the daughter
Om katyayanimahabhagemahayoginyadhishvarim
Nandgopsutamdevipatiam me kurutenamah

Aarti in Hindi

जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

Navratri Day 3 - Maa Chandraghanta Arti and Puja Vidhi


Who is Maa Chandraghanta - 

Goddess Parvati is the wife to the almighty Lord Shiva. After a marriage, Lord Shiva adorned the Goddesses forehead with a Chandra made from Chandan. This is the reason due to which she is known as Chandraghanta. 

It is believed that she removes the problems and little demons of life. She has ten arms and three eyes, with Shiva’s crescent moon on her forehead. She has a golden complexion and is ready for war. She wears a mala of bells that attempt the silencing of bells, of articulation. She rides a tiger and protects her devotees, gives peace, and bestows ultimate good. She holds a Gong (big bell) and is adorned with a half-moon on the head.

Navratri Day 3 Puja Vidhi

Chandraghanta Puja is performed on the Navratri Tritiya Tithi. Purify with Ganga Jal or Gaumutr. Do Kalash sthapna by placing coconut on the water-filled pot of Silver, Copper, or Earth. Now, take the Sankalpa for Puja and do shodopchar puja of Maa Chandraghanta. Then offer all relevant puja samagri to all the deities. Finally do Aarti and distribute Prasad. Appease Maa Chandraghanta with Milk and milk products. This appeases Maa Chandraghanta and she removes all obstacles.

- Atma Pooja: Puja is done for self-purification
- Tilak and Aachman: Put tilak on forehead and drink holy water from palms.
- Sankalpa: Taking water in hand and making a wish in front of the Goddess.
- Aavahana and Aasan: Offer flowers
- Paadhya: Offer water to Devi’s charan.
- Aachman: Offer Kapoor (camphor) mixed water.
- DugdhaSnan: Offer cow milk for bathing
- Ghrita and Madhusnan: Offer ghee and honey for bathing
- Sharkara and Panchamritsnan: Offer sugar and the panchaamrita bathing.
- Vastra: Offer sari or cloth to wear.
- Chandan: Put Sandalwood tilak on the deity.
- Kumkum, Kajal, Druvapatra and Bilwapatra, Dhoopa and Deepam
- Offer Prasad


Navratri Day 3 Mantra and Aarti

Om Aim Hreem Chandraghantay Namah ||
Om Devi Chandraghantayayi Namah(108 times)
Pindaj Pravaarudhchandkopastrkairyuta |
Prasadam Tanute Madhyam Chandraghantetivishrutaa ||

Aarti

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो। चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। शीश झुका कहे मन की बाता॥
पूर्ण आस करो जगत दाता। कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा। नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।


Shri Vishnu Chalisa


 

Wednesday, October 6, 2021

Ramavtar ji Arti




 

Vaishno Devi Mataji Arti


 

Shri Kunj Bihari Arti


 







श्री गुरुदत्ताची आरती (Guru Dattachi Aarti )

 त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ती दत्त हा जाणा। त्रिगुणी अवतार त्रेलोक्य राणा ।।

नेती नेती शब्द न ये अनुमाना । सुरवर मुनिजन योगी समाधी न ये ध्याना ।।१।।

जय देव जयदेव जय श्री गुरुदत्ता। आरती ओवाळिता हरली भवचिंता। जय देव जय देव।


सबाह्य अभ्यंतरीं तू एक दत्त। अभाग्यासी कैंची कळेल ही मात ।।

परा ही परतली तेथे कैंचा हा हेत । जन्मरमरण्याचा पुरलासे अंत ।।२।। जय देव जय देव


दत्त येऊनिया उभा ठाकला । सद्भावे साष्टांग प्रणिपात केला ।।

प्रसन्न होऊनिया आशीर्वाद दिधला । जन्ममरण्याचा फेरा चुकविला ।।३।। जय देव जय देव


दत्त दत्त ऐसे लागले ध्यान। हारपले मन झाले उन्मन ।।

मीतूंपणाची झाली बोळवण । एका जनार्दनीं श्री दत्त ध्यान ।।४।। जय देव जय देव

साईबाबा आरती (Saibaba Aarti )

 आरती साईबाबा । सौख्यदातार जीवा।

चरणरजातली । द्यावा दासा विसावा, भक्ता विसावा ।। आ०।।ध्रु ०।।
जाळुनियां अनंग। स्वस्वरूपी राहेदंग ।
मुमुक्षूजनां दावी । निज डोळा श्रीरंग ।। आ०।। १ ।।
जयामनी जैसा भाव । तया तैसा अनुभव ।
दाविसी दयाघना । ऐसी तुझीही माव ।। आ०।। २ ।।
तुमचे नाम ध्याता । हरे संस्कृती व्यथा ।
अगाध तव करणी । मार्ग दाविसी अनाथा ।। आ०।। ३ ।।
कलियुगी अवतार । सगुण परब्रह्मः साचार ।
अवतीर्ण झालासे । स्वामी दत्त दिगंबर ।। द०।। आ०।। ४ ।।आठा दिवसा गुरुवारी । भक्त करिती वारी ।
प्रभुपद पहावया । भवभय निवारी ।। आ०।। ५ ।।
माझा निजद्रव्यठेवा । तव चरणरज सेवा ।
मागणे हेचि आता । तुम्हा देवाधिदेवा ।। आ०।। ६ ।।
इच्छित दिन चातक। निर्मल तोय निजसुख ।
पाजावे माधवा या । सांभाळ आपुली भाक ।। आ०।। ७ ।।

ज्ञानराजा आरती (Dnyanraja Aarti )

आरती ज्ञानराजा |
महाकैवल्यतेजा |
सेविती साधुसंत ||
मनु वेधला माझा || आरती || धृ ||
लोपलें ज्ञान जगी |
हित नेणती कोणी |
अवतार पांडुरंग |
नाम ठेविले ज्ञानी || १ || आरती || धृ ||
कनकाचे ताट करी |
उभ्या गोपिका नारी |
नारद तुंबर हो ||
साम गायन करी || २ || आरती || धृ ||
प्रकट गुह्य बोले |
विश्र्व ब्रम्हाची केलें |
रामजनार्दनी |
पायी मस्तक ठेविले |
आरती ज्ञानराजा |
महाकैवल्यतेजा || सेविती || ३ ||

दशावतारांची आरती (Dashavatar Aarti )

 आरती सप्रेम जय जय विठ्ठल परब्रह्म ।

भक्त संकटिं नानास्वरूपीं स्थापिसि स्वधर्म ॥ ध्रु० ॥

अंबऋषीकारणें गर्भवास सोशीसी ।
वेद नेले चोरूनि ब्रह्मया आणुनियां देसी ॥
मत्स्यरूपी नारायण सप्तहि सागर धुंडीसी ।
हस्त लागतां शंखासुरा तुझा वर देसी ॥ आरती० ॥ १ ॥


रसातळासी जातां पृथ्वी पाठीवर घेसी ।
परोपकरासाठीं देवा कांसव झालासी ॥
दाढें धरुनी पृथ्वी नेतां वराहरूप होसी ।
प्रल्हादाकारणें स्तंभीं नरहरि गुरगुरसी ॥ आरती० ॥ २ ॥


पांचवे अवतारीं बळिच्या द्वाराला जासी ।
भिक्षे स्थळ मागुनीं बळीला पाताळा नेसी ॥
सर्व समर्पण केलं म्हणुनी प्रसन्न त्या होसी ।
वामनरूप धरुनी बळिच्या द्वारीं तिष्ठसी ॥ आरती० ॥ ३ ॥


सहस्त्रार्जुन मातला जमदग्नीचा वध केला ।

कष्टी ते रेणुका म्हणुनी सहस्त्रार्जुन वधिला ॥
निःक्षत्री पृथ्वी दान दिधली विप्राला ।
सहावा अवतार परशुराम प्रगटला ॥ आरती० ॥ ४ ॥


मातला रावण सर्वां उपद्रव केला ।
तेहतिस कोटी देव बंदी हरिलें सीतेला ॥
पितृवचनालागीं रामें वनवास केला ।
मिळोनि वानरसहित राजा राम प्रगटला ॥ आरती० ॥ ५ ॥


देवकीवसुदेवबंदीमोचन त्वां केलें ।
नंदाघरीं जाउनी निजसुख गोकुळा दिधलें ।
गोरसचोरी करितां नवलक्ष गोपाळ मिळविले ।
गोपिकांचें प्रेम देखुनि श्रीकृष्ण भुलले ॥ आरती० ॥ ६ ॥


बौद्ध कलंकी कलियुगीं झाला अधर्म हा अवघा ।
सोडुनी दिधला धर्म म्हणुनी न दिससी देवा ॥
म्लेंच्छमर्दन करिसी ह्मणोनि कलंकी केशवा ।
बहिरवि जान्हवी द्यावी निजसुखानंदाची सेवा ॥ आरती० ॥ ७ ॥

श्री महालक्ष्मीची आरती (Mahalaxmi Aarti )



जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी
वससी व्यापकरूपे राहे निश्चलरूपे तू स्थूलसुक्ष्मी. जय.


करवीरपूर वासिनी सुरवर मुनिमाता
पुरहर वरदायिनी मुरहर प्रियकांता
कमलाकारे जठरी जन्मविला धाता
सहस्त्र वदनी भूधर नपुरे गुणगाता. जय.


मातुल्लिंग गदा खेटक रविकिरणी
झळके हाटकवाटी पीयुष रसपाणि
माणिक रसना सुरंग वसना मृगनयनी
शशीकर वदना राजस मदनाची जननी. जय.


तारा शक्ती अगम्या शीवभजका गौरी
सांख्य म्हणती प्रकृती निर्गुण निर्धारी
गायत्री नीजबीजा निगमागमसारी
प्रगटे पद्मावती निजधर्माचारी. जय.


अमृत भरिते सरिते अघदुरिते वारी
मारी दुर्घट असुरा भवदुस्तर तारी
वारी माया पटल प्रणमत परिवारी
हे रूप चिद्रुप दावी निर्धारी. जय.


चतुराननाने कुश्चित कर्मांच्या ओळी
लिहिल्या असतिल माते माझे निजभाळी
पुसोनि चरणातळी पदसुमने क्षाळी
मुक्तेश्वर नागर क्षीरसागर बाळी. जय.

Thursday, September 18, 2014

Laxmiji Ki arti - जय लक्ष्मी माता






                         ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत
हर विष्णु विधाता .
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
ॐ मैया तुम ही जग माता .
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता
ओ मैया सुख सम्पति दाता .
जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
ओ मैया तुम ही शुभ दाता .
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..


जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता
ओ मैया सब सद्गुण आता .
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता .
खान पान का वैभव, सब तुम से आता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
ओ मैया क्षीरोदधि जाता .
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
ओ मैया जो कोई जन गाता .
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

 In English

Om Jai Laxmi Mata, Maiya JaiLaxmi Mata,
Tumko nis din sevat, Hari, Vishnu Data
Om Jai Laxmi Mata

Uma Rama Brahmaani, Tum ho Jag Mata,
Maiya, Tum ho Jag Mata,
Surya ChanraMa dhyaavat, Naarad Rishi gaata.
Om Jai Laxmi Mata.

Durga Roop Niranjani, Sukh Sampati Data,
Maiya Sukh Sampati Data
Jo koyee tumko dhyaataa, Ridhee Sidhee dhan paataa
Om Jai Laxmi Mata.

Jis ghar mein tu rehtee, sab sukh guna aataa,
Maiya sab sukh guna aataa,
Taap paap mit jaataa, Man naheen ghabraataa.
Om Jai Laxmi Mata

Dhoop Deep phal meva, Ma sweekaar karo,
Maiya Ma sweekaar karo,
Gyaan prakaash karo Ma, Moha agyaan haro.
Om Jai Laxmi Mata.
Maha Laxmiji ki Aarti, jo gaavey
Maiya nis din jo gaavey,
Uraananda samata, paap uttar jata.
Om Jai Laxmi Mata.

Hanumanji Ki Arti - आरती कीजै हनुमान लला की


आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।

लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।

सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

in English

Aarti Ke Jai Hanuman Lalaki,
Dusht dalan Raghunath kalaki.

Jaakay bal say giriwar kaapay,
Roog doosh jakay nikat na jhankay.

Anjani putra maha balli daayee,
Santan kay prabhu sada sahaye.

Day beeraa Raghunath pataway,
Lanka jaaree seeya soodi laayee

Lanka so koti Samundra Seekhaayee,
Jaat pawansut baran layee

Lanka Jaari Asur Sanghaaray,
Seeya Ramjee kay kaaj sawaray.

Lakshman moor chet paray Sakaaray,
Aani Sajeewan praan ubaaray

Paitee pataal toori jam kaaray,
Ahi Ravana kee bujaa ukhaaray

Baayay bujaa asur dhal maaray,
Dahinay bujaa sant jam taray.

Sur nar Muni arati utaray,
Jai jai jai Hanuman ucharaay

Kanchan thaar Kapoor loo chaayee,
Aaaarati karat Anjani maayee

Jo Hanuman kee Aaarati gaaway,
Basee Baikoontha param pad paaway.

Shri Shankari Arti - शंकर जी की आरती जय शिव ओंकारा





!!जय शिव ओंकारा!!

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा.

In English - 

Om jai shiv omkara, prabhu jai shiv omkara
Brahma Vishnu sada shiv, ardhangii dhara
Om jai shiv omkara…

Ekanana chaturanan panchanan raje
Hansanan, garuraasan vrishvahan saje
Om jai shiv omkara….

Do bhuja, chaar chaturbhuja dashabhuja ati sohe
Tiinon roop nirakhate tribhuvan jan mohe



Om jai shiv omkara…

Aksamala vanamala mundamala dhari
Chandana mrigamad sohai bhaale shashidhaari
Jai shiv omkara…

Shvetambara piitambara baaghambara ange
Brahmadhik sanakaadhik pretaadhik sange
Om jai shiv omkara…

Kara madhye kamandalu au trishul dhari
Jagkarta jagharta jagapalan karta
Jai shiv omkara…

Brahma Vishnu sadashiva janata aviveka
Pranavaksar ke madhaya tinonh eka
Om jai shiv omkara…

Trigun swami ki aarti jo koi nar gave
Kahata shivananda swami mana vanchita phala pave
Jai shiv omkara…

Om Jai Jagdish hare - ओम जय जगदीश हरे

                         !!ओम जय जगदीश हरे!!

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करें, ओम जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का, सुख संपति घर आवे
स्वामी, सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का
ओम जय जगदीश हरे

माता पिता तुम मेरे, शरण पाऊँ मैं किसकी
स्वामी शरण पाऊँ मैं किसकी, तुम बिन और ना दूजा
प्रभु बिन और ना दूजा, आस करूँ मैं जिसकी
ओम जय जगदीश हरे

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी, पर ब्रह्म परमेश्वर
स्वामी, पर ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी
ओम जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता, मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भरता
ओम जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर, सब के प्राण पति
स्वामी सब के प्राण पति, किस विधि मिलूं गोसाईं
किस विधि मिलूं दयालु, तुम को मैं कुमति
ओम जय जगदीश हरे

दीन बंधु दुख हरता, ठाकुर तुम मेरे
स्वामी ठाकुर तुम मेरे, अपने हाथ उठाओ
अपनी शरन लगाओ, द्वार पड़ा हूं तेरे
ओम जय जगदीश हरे

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
स्वामी, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतों की सेवा
ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करें, ओम जय जगदीश हरे ||

In English

Om jai Jagdish hare, Swami jai Jagdish hare
Bhakt jano ke sankat, Das jano ke sankat
shan men door kare, Om jai Jagdish hare

Jo dhyave phal pave, Dukh bin se man ka
Swami dukh bin se man ka, Sukh sampati ghar ave
Sukh sampati ghar ave, Kasht mite tan ka
Om jai Jagdish hare

Mat pita tum mere, Sharan Paoon main kiski
Swami sharan paoon main kiski, Tum bin aur na dooja
Prabhu bin aur na dooja, As karoon main jiski
Om jai Jagdish hare

Tum pooran Paramatam, Tum Antaryami
Swami tum Antaryami, Par Brahm Parameshwar
Par Brahm Parameshwar, Tum sabke swami
Om jai Jagdish hare

Tum karuna ke sagar, Tum palan karta
Swami tum palan karta, Main moorakh khalakhami
Main sevak tum swami, Kripa karo Bharta
Om jai Jagdish hare

Tum ho ek agochar, Sab ke pran pati
Swami sab ke pran pati, Kis vidhi miloon Gosai
Kis vidhi miloon Dayalu, Tum ko main kumati
Om jai Jagdish hare.

Deen bandhu dukh harta, Thakur tum mere
Swami Thakur tum mere, Apne hath uthao
Apni sharani lagao, Dwar paoa hoon tere
Om jai Jagdish hare.

Vishay vikar mitavo, Pap haro Deva
Swami pap haro Deva, Shradha bhakti baohao
Swami, Shradha bhakti baohao, Santan ki seva
Om jai Jagdish hare.

Om jai Jagdish hare, Swami jai Jagdish hare
Bhakt jano ke sankat, Das jano ke sankat
Shan men door kare, Om jai Jagdish hare.

Shedur lal Chadayo - शेंदूर लाल चढायो

शेंदूर लाल चढायो अच्छा गजमुखको ||
दोंदिल लाल बिराजे सूत गौरीहरको ||
हाथ लिए गुड-लड्डू साईं सुरवरको ||महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पदको || 1 ||
विघनाविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ||
कोटि सूरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी ||
गंड-स्थल मदमस्तक झूले शाशिहारी || 2 ||
संतति सम्पति सभी भरपूर पावे ||
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ||
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे || 3 ||

Shendur Laal Chadhaayo Achchhaa Gajamukha Ko
Jai Jai Jai Jai Jai
Astha Sidhi Dasi Sankat Ko Bairi
Jai Jai Jai Jai Jai
Bhaavabhagat Se Koi SharaNaagat Aave
Jai Jai Jai Jai Jai
जय जय श्री गणराज विध्यासुखदाता || धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ||
अष्टो सिद्धि दासी संकटको बैरी ||
जय जय श्री गणराज विध्यासुखदाता || धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ||
भावभगत से कोई शरणागत आवे ||
जय जय श्री गणराज विध्यासुखदाता || धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ||

in English

Dondil Laal Biraaje Sut Gaurihar Ko
Haath Liye Gud Ladduu Saaii Sukhar Ko
Mahimaa Kahe Na Jaay Laagat Huun Pad Ko 

Jai Jai Jii Ganaraaj Vidyaasukhadaataa
Dhany Tumhaaro Darshan Meraa Mat Ramataa
Jai Dev Jai Dev

Vighan Vinashan Mangal Murat Adhikari
Koti Suraj Prakash Aise Chabi Teri
Gandasthal Madmastak Jhool Shashi Behari

Jai Jai Jii Ganaraaj Vidyaasukhadaataa
Dhany Tumhaaro Darshan Meraa Mat Ramataa
Jai Dev Jai Dev

Santati Sampatti Sabahii Bharapuur Paave
Aise Tum Mahaaraaj Moko Ati Bhaave
Gosaaviinandan Nishidin Gun Gaave

Jai Jai Jii Ganaraaj Vidyaasukhadaataa
Dhany Tumhaaro Darshan Meraa Mat Ramataa
Jai Dev Jai Dev