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Thursday, October 7, 2021

Navratri Day 6 - Maa Katyayani Arti and Puja

Who is Maa Katyayani - 

On the havoc created by Mahishasura, Goddess Parvati had taken the avatar of Katyayani. She is also referred to as the warrior Goddess. Certain religious texts state that Goddess Pravati was born at the home of sage Katya and hence the name Katyayani. She can be seen riding a lion and carrying a lotus stem and sword in her right hand. She is said to be gifted with the lion by Goddess Gauri.

Navratri Day 6 Aarti 

Kaatyaayani Mahaamaaye Mahaayoginyadheeshvari,
Nand gopasutan devipatin me kuru te namah.

Mantra For delayed marriage
Hey gaurishankaradhanyathatwamshankarpriya
Tatha man kurukalyanikantkantansudurlabham

Mantra For finding a suitable husband for the daughter
Om katyayanimahabhagemahayoginyadhishvarim
Nandgopsutamdevipatiam me kurutenamah

Aarti in Hindi

जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

Navratri Day 3 - Maa Chandraghanta Arti and Puja Vidhi


Who is Maa Chandraghanta - 

Goddess Parvati is the wife to the almighty Lord Shiva. After a marriage, Lord Shiva adorned the Goddesses forehead with a Chandra made from Chandan. This is the reason due to which she is known as Chandraghanta. 

It is believed that she removes the problems and little demons of life. She has ten arms and three eyes, with Shiva’s crescent moon on her forehead. She has a golden complexion and is ready for war. She wears a mala of bells that attempt the silencing of bells, of articulation. She rides a tiger and protects her devotees, gives peace, and bestows ultimate good. She holds a Gong (big bell) and is adorned with a half-moon on the head.

Navratri Day 3 Puja Vidhi

Chandraghanta Puja is performed on the Navratri Tritiya Tithi. Purify with Ganga Jal or Gaumutr. Do Kalash sthapna by placing coconut on the water-filled pot of Silver, Copper, or Earth. Now, take the Sankalpa for Puja and do shodopchar puja of Maa Chandraghanta. Then offer all relevant puja samagri to all the deities. Finally do Aarti and distribute Prasad. Appease Maa Chandraghanta with Milk and milk products. This appeases Maa Chandraghanta and she removes all obstacles.

- Atma Pooja: Puja is done for self-purification
- Tilak and Aachman: Put tilak on forehead and drink holy water from palms.
- Sankalpa: Taking water in hand and making a wish in front of the Goddess.
- Aavahana and Aasan: Offer flowers
- Paadhya: Offer water to Devi’s charan.
- Aachman: Offer Kapoor (camphor) mixed water.
- DugdhaSnan: Offer cow milk for bathing
- Ghrita and Madhusnan: Offer ghee and honey for bathing
- Sharkara and Panchamritsnan: Offer sugar and the panchaamrita bathing.
- Vastra: Offer sari or cloth to wear.
- Chandan: Put Sandalwood tilak on the deity.
- Kumkum, Kajal, Druvapatra and Bilwapatra, Dhoopa and Deepam
- Offer Prasad


Navratri Day 3 Mantra and Aarti

Om Aim Hreem Chandraghantay Namah ||
Om Devi Chandraghantayayi Namah(108 times)
Pindaj Pravaarudhchandkopastrkairyuta |
Prasadam Tanute Madhyam Chandraghantetivishrutaa ||

Aarti

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो। चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। शीश झुका कहे मन की बाता॥
पूर्ण आस करो जगत दाता। कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा। नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।


Monday, September 29, 2014

Jai ambe gauri - जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

आरती अम्बे गौरी की
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी ।
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
Aarti Ambe Gauri Ki
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Nishdin tumko dhyavat, Hari Brahma Shivji,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Mang sindur birajat, tiko mrigmad ko,
ujjvalse dou naina, chandravadan niko,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Kanak saman kalevar, raktambar raje,
Raktapushp galmala, kanthhar saje,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Kehari vahan rajat, khadg khappar dhari
sur nar munijan sevat, tinke dukhahari,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Kanan kundal shobhit, nasagre moti
Kotik chandra divakar, samrajat jyoti,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Shumbh- nishumbh vidare, MahishaSur ghatia
Dhumra-vilochan naina, nishdin madmati
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Chand-mund sanghare, shunit beej hare
Madhu Kaitabh dau mare, sur bhayheen kare
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Brahmani, Rudrani tum Kamala Rani,
Agam-nigam bakhani. turn Shiv patrani,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Chaunsath yogini gavat, nritya karat Bhairon,
Bajat tab mridanga, aur bajat damru,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Tum ho jag ki mata, tum hi ho bharta,
Bhaktan ki dukh harta, sukh sampati karta,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Bhuja char ati shobhit, var mudra dhari,
Manvanchhit phal pavat, sevat nar nari,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
kanchan thal virajat, agaru kapur bati
Malketu men rajat, kotiratan jyoti,
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama Gauri
Shri ambe ji ki aarti, jo koi nit gave,
kahat Shivananda swami, sukh sampati paave
Jai Ambe Gauri maiya, jaa Shyama G
auri

Wednesday, September 24, 2014

Navratrichi Arti - आश्विनशुद्धपक्षीं

Navratrichi Arti 

आश्विनशुद्धपक्षीं अंबा बैसलि सिंहासनीं हो ॥ प्रतिपदेपासून घटस्थापना ती करुनी हो ॥ मूलमंत्रजप करुनी भोंवते रक्षक ठेउनी हो ॥
 ब्रह्माविष्णुरुद्र आईचें पूजन करिती हो ॥ १ ॥

 उदो बोला उदो अंबाबाई माउलीचा हो । उदोकारें गर्जती काय महिमा वर्णू तिचा हो ॥ ध्रु० ॥ 

द्वितीयेचे दिवशी मिळती चौसष्ट योगिनी हो ॥ सकळांमध्यें श्रेष्ठ परशुरामाची जननी हो ॥ कस्तुरीमळवट भांगी शेंदूर भरुनी हो ॥ उदोकारें गर्जती सकल चामुंडा मिळुनी हो ॥ उदो० ॥ २ ॥ 

तृतीयेचे दिवशी अंबे शृंगार मांडिला हो ॥ मळवट पातळ चोळी कंठीं हार मुक्ताफळां हो ॥ कंठींचीं पदकें कांसे पीतांबर पिवळा हो ॥ अष्टभुजा मिरविती अंबे सुंदर दिसे लीला हो ॥ उदो० ॥ ३ ॥ 

चतुर्थीचे दिवशीं विश्वव्यापक जननी हो ॥ उपासकां पाहसी अंबे प्रसन्न अंतःकरणीं हो ॥ पूर्णकृपें पाहसी जगन्माते मनमोहिनी हो ॥ भक्तांच्या माउली सुर ते येती लोटांगणीं हो ॥ उदो० ॥ ४ ॥ 

पंचमीचे दिवशीं व्रत तें उपांगललिता हो । अर्थ्यपाद्यपूजनें तुजला भवानी स्तविती हो । रात्रीचे समयीं करिती जागरण हरिकथा हो ॥ आनंदें प्रेम तेंआलें सद्भावें क्रीडतां हो ॥ उदो० ॥ ५ ॥ 

षष्ठीचे दिवशीं भक्तां आनंद वर्तला हो ॥ घेउनि दिवट्या हस्तीं हर्षें गोंधळ घातला हो । कवडी एक अर्पितां देसी हार मुक्ताफळां हो ॥ जोगवा मागतां प्रसन्न झाली भक्तकुळा हो ॥ उदो० ॥ ६ ॥

 सप्तमीचे दिवशीं सप्तश्रृंगगडावरी हो । तेथें तूं नांदसी भोंवतीं पुष्पें नानापरी हो ॥ जाईजुईशेवंती पूजा रेखियली बरवी हो । भक्त संकटींपडतां झेलुनि घेसी वरचेवरी हो ॥ उदो० ॥७ ॥ 

अष्टमीचे दिवशीं अष्टभुजा नारायनी हो ॥ सह्याद्रीपर्वतीं पाहिली उभी जगज्जननी हो ॥ मन माझें मोहिलें शरण आलों तुजलागुनी हो ॥ स्तनपान देउनि सुखी केलें अंतःकरणीं हो ॥ उदो० ॥ ८ ॥

 नवमीचे दिवशीं नवदिवसांचें पारणें हो ॥ सप्तशतीजप होमहवनें सद्भक्ती करुनी हो । षड्रस‍अन्नें नैवेद्यासी अर्पियली भोजनीं हो ॥ आचार्यब्राह्मणां तृप्त केलें कृपेंकरुनी हो ॥ उदो० ॥ ९ ॥

 दशमीच्या दिवशीं अंबा निघे सीमोल्लंघनीं हो ॥ सिंहारूढे दारुण शस्त्रें अंबे त्वां घेउनी हो ॥ शुंभनिशुंभादिक राक्षसां किती मारिसी रणीं हो ॥ विप्रा रामदासा आश्रय दिधला तो चरणीं हो । उदो० ॥ १० ॥