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Wednesday, October 6, 2021

मंत्रपुष्पांजली मंत्र (Mantra Pushpanjali )

 ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।

ते ह नाकं महिमान : सचंत यत्र पूर्वे साध्या : संति देवा : ।।
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने ।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय ।
महाराजाय नम: ।
ॐ स्वस्ति। साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ठ्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं
वैराज्यं पारमेष्ठ्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं
समंतपर्यायीस्यात् सार्वभैम: सार्वायुष आं
तादापरार्धात् पृथिव्यै समुद्रपर्यंताया एकेराळिति
तदप्येष: श्लोको भिगीतो मरूत: परिवेष्टारो
मरूतस्यावसन् गृहे ।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्र्वेदेवा: सभासद इति ।।

एकदंतायविघ्महे वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नोदंती प्रचोदयात् ।

मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ।।

।। गणपतिबाप्पा मोरया ।।

Wednesday, September 24, 2014

Navratrichi Arti - आश्विनशुद्धपक्षीं

Navratrichi Arti 

आश्विनशुद्धपक्षीं अंबा बैसलि सिंहासनीं हो ॥ प्रतिपदेपासून घटस्थापना ती करुनी हो ॥ मूलमंत्रजप करुनी भोंवते रक्षक ठेउनी हो ॥
 ब्रह्माविष्णुरुद्र आईचें पूजन करिती हो ॥ १ ॥

 उदो बोला उदो अंबाबाई माउलीचा हो । उदोकारें गर्जती काय महिमा वर्णू तिचा हो ॥ ध्रु० ॥ 

द्वितीयेचे दिवशी मिळती चौसष्ट योगिनी हो ॥ सकळांमध्यें श्रेष्ठ परशुरामाची जननी हो ॥ कस्तुरीमळवट भांगी शेंदूर भरुनी हो ॥ उदोकारें गर्जती सकल चामुंडा मिळुनी हो ॥ उदो० ॥ २ ॥ 

तृतीयेचे दिवशी अंबे शृंगार मांडिला हो ॥ मळवट पातळ चोळी कंठीं हार मुक्ताफळां हो ॥ कंठींचीं पदकें कांसे पीतांबर पिवळा हो ॥ अष्टभुजा मिरविती अंबे सुंदर दिसे लीला हो ॥ उदो० ॥ ३ ॥ 

चतुर्थीचे दिवशीं विश्वव्यापक जननी हो ॥ उपासकां पाहसी अंबे प्रसन्न अंतःकरणीं हो ॥ पूर्णकृपें पाहसी जगन्माते मनमोहिनी हो ॥ भक्तांच्या माउली सुर ते येती लोटांगणीं हो ॥ उदो० ॥ ४ ॥ 

पंचमीचे दिवशीं व्रत तें उपांगललिता हो । अर्थ्यपाद्यपूजनें तुजला भवानी स्तविती हो । रात्रीचे समयीं करिती जागरण हरिकथा हो ॥ आनंदें प्रेम तेंआलें सद्भावें क्रीडतां हो ॥ उदो० ॥ ५ ॥ 

षष्ठीचे दिवशीं भक्तां आनंद वर्तला हो ॥ घेउनि दिवट्या हस्तीं हर्षें गोंधळ घातला हो । कवडी एक अर्पितां देसी हार मुक्ताफळां हो ॥ जोगवा मागतां प्रसन्न झाली भक्तकुळा हो ॥ उदो० ॥ ६ ॥

 सप्तमीचे दिवशीं सप्तश्रृंगगडावरी हो । तेथें तूं नांदसी भोंवतीं पुष्पें नानापरी हो ॥ जाईजुईशेवंती पूजा रेखियली बरवी हो । भक्त संकटींपडतां झेलुनि घेसी वरचेवरी हो ॥ उदो० ॥७ ॥ 

अष्टमीचे दिवशीं अष्टभुजा नारायनी हो ॥ सह्याद्रीपर्वतीं पाहिली उभी जगज्जननी हो ॥ मन माझें मोहिलें शरण आलों तुजलागुनी हो ॥ स्तनपान देउनि सुखी केलें अंतःकरणीं हो ॥ उदो० ॥ ८ ॥

 नवमीचे दिवशीं नवदिवसांचें पारणें हो ॥ सप्तशतीजप होमहवनें सद्भक्ती करुनी हो । षड्रस‍अन्नें नैवेद्यासी अर्पियली भोजनीं हो ॥ आचार्यब्राह्मणां तृप्त केलें कृपेंकरुनी हो ॥ उदो० ॥ ९ ॥

 दशमीच्या दिवशीं अंबा निघे सीमोल्लंघनीं हो ॥ सिंहारूढे दारुण शस्त्रें अंबे त्वां घेउनी हो ॥ शुंभनिशुंभादिक राक्षसां किती मारिसी रणीं हो ॥ विप्रा रामदासा आश्रय दिधला तो चरणीं हो । उदो० ॥ १० ॥

Devi Durga Arti - अम्बे तू है जगदम्बे काली



अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥

सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखडे निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को सवांरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

Thursday, September 18, 2014

Laxmiji Ki arti - जय लक्ष्मी माता






                         ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत
हर विष्णु विधाता .
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
ॐ मैया तुम ही जग माता .
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता
ओ मैया सुख सम्पति दाता .
जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
ओ मैया तुम ही शुभ दाता .
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..


जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता
ओ मैया सब सद्गुण आता .
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता .
खान पान का वैभव, सब तुम से आता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
ओ मैया क्षीरोदधि जाता .
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
ओ मैया जो कोई जन गाता .
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

 In English

Om Jai Laxmi Mata, Maiya JaiLaxmi Mata,
Tumko nis din sevat, Hari, Vishnu Data
Om Jai Laxmi Mata

Uma Rama Brahmaani, Tum ho Jag Mata,
Maiya, Tum ho Jag Mata,
Surya ChanraMa dhyaavat, Naarad Rishi gaata.
Om Jai Laxmi Mata.

Durga Roop Niranjani, Sukh Sampati Data,
Maiya Sukh Sampati Data
Jo koyee tumko dhyaataa, Ridhee Sidhee dhan paataa
Om Jai Laxmi Mata.

Jis ghar mein tu rehtee, sab sukh guna aataa,
Maiya sab sukh guna aataa,
Taap paap mit jaataa, Man naheen ghabraataa.
Om Jai Laxmi Mata

Dhoop Deep phal meva, Ma sweekaar karo,
Maiya Ma sweekaar karo,
Gyaan prakaash karo Ma, Moha agyaan haro.
Om Jai Laxmi Mata.
Maha Laxmiji ki Aarti, jo gaavey
Maiya nis din jo gaavey,
Uraananda samata, paap uttar jata.
Om Jai Laxmi Mata.

Santoshi Mata Arti - संतोषी माता की आरती




!!संतोषी माता की आरती!!
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।
मैया जय सन्तोषी माता ।

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो
मैया माँ धारण कींहो
हीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्हो
मैया जय सन्तोषी माता ।

गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे
मैया बदन कमल सोहे
मंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे
मैया जय सन्तोषी माता ।

स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर डुले प्यारे
मैया चँवर डुले प्यारे
धूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे
मैया जय सन्तोषी माता ।

गुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो
मैया ता में सन्तोष कियो
संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो
मैया जय सन्तोषी माता ।

शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो ही,
मैया आज दिवस सो ही
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मो ही
मैया जय सन्तोषी माता ।

मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई
मैया मंगल ध्वनि छाई
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई
मैया जय सन्तोषी माता ।

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै
मैया अंगीकृत कीजै
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै
मैया जय सन्तोषी माता ।

दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये
मैया संकट मुक्त किये
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये
मैया जय सन्तोषी माता ।

ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो
मनवाँछित फल पायो
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो
मैया जय सन्तोषी माता ।

चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे
मैया रखियो जगदम्बे
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे
मैया जय सन्तोषी माता ।

सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे
मैया जो कोई जन गावे
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे
मैया जय सन्तोषी माता ।


in English

Jai Santoshi Mata, Maiya Jay Santoshi Mata,
Apane Sevak Jan Ko,Sukh Sampati Data.
Jai Santoshi Mata

Sundar Chir Sunahari Ma Dharan Kinho,
Hira Panna Damake,Tan Shringar Linho.
Jai Santoshi Mata

Geru Laal Chata Chavi,Badan Kamal Sohe,
Mand Hansat Karunamayi Tribhuvan Jan Mohe.
Jai Santoshi Mata

Svarn Sinhasan Baithi,Chanvar Dhure Pyare ,
Dhup,Dip,Madhumeva,Bhog Dhare Nyare.
Jai Santoshi Mata

Gud Aur Chana Paramapriy,Tame Santosh Kiyo.
Santoshi Kahalai,Bhaktan Vaibhav Diyo.
Jai Santoshi Mata

Shukravar Priy Manat,Aj Divas Sohi .
Bhakt Mandali Chai,Katha Sunat Mohi.
Jai Santoshi Mata

Vinay Jagamag Jyoti, Mangal Dhvani Chai .
Vinay Kare Ham Baalak, Charanan Sir Nai.
Jai Santoshi Mata

Bhakti Bhavamay Puja, Angikrut Kijai .
Jo Man Base Hamare,Ichha Fal Dijai.
Jai Santoshi Mata

Dukhi, Daridri, Rogi, Sankatamukt Kie,
Bahu Dhan-Dhany Bhare Ghar, Sukh Saubhagy Diye.
Jai Santoshi Mata

Dhyan Dharyo Jis Jan Ne, Manavanchit Fal Payo.
Puja Katha Shravan Kar, Ghar Aanand Ayo.
Jai Santoshi Mata

Sharan Gahe Ki Lajja, Rakhiyo Jagadambe,
Sankat Tu Hi Nivare, Dayamayi Ambe.
Jai Santoshi Mata

Santoshi Ma Ki Arati Jo Koi Nar Gaave,
Riddhi-Siddhi Sukh Sampati, Ji Bharakar Pave.
Jai Santoshi Mata…